कहा—कुलकुटुम्ब को शर्म नहीं तो कुल डूब रहा है
भुवनेश्वर में गरजे तो गला फट गया, लेकिन मोहन ने नहीं सुना
दिन-रात धरने पर बैठे किसानों के साथ सड़क पर गरजे बीजेडी नेता प्रदीप माझी। उत्सव में मग्न हैं मोहन, तो सड़क पर हताश किसान। किसानों को लूटकर मना रहे हैं जन्मदिन। मोहन सरकार ने धान तो लिया, लेकिन पैसा नहीं दिया। लोग कहने लगे हैं—मोहन के चेहरे पर शर्म नहीं है। हमसे 14 क्विंटल से अधिक धान लिया गया, लेकिन पैसे नहीं दिए गए। इसी तरह ठग-ठग कर सत्ता में आई बीजेपी। वादा कर के धोखा दिया डबल इंजन सरकार ने। चुनाव से पहले बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन जीतने के बाद आम जनता को भुला दिया। बीजेपी जो खुद को जनता की सरकार बताती थी, अब वही जनता की पीड़ा नहीं सुन रही है।
नबरंगपुर के किसान संघ के किसान
3-4 दिन से पीएमजी के पास तेज बारिश के बीच रातभर जागते हुए धरने पर बैठे हैं। 4 महीने बीत गए, लेकिन किसानों को उनकी मेहनत की कमाई नहीं मिली। धान मंडी में धान बिक चुका है, लेकिन सरकार अब तक भुगतान नहीं कर सकी।
चुनाव से पहले एमएसपी बढ़ाने का वादा किया गया था, अब सत्ता में आकर सभी वादे पूरे होने की बात कह रहे हैं मोहन माझी।
लेकिन 3-4 दिन से भूखे-प्यासे सड़क पर बैठे गरीब किसानों की हालत देखकर बीजेपी सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है।
धरना दे रहे किसानों का कहना है
इस डबल इंजन सरकार को शर्म आनी चाहिए। अगर यह सरकार किसानों और जनता की होती, तो हमें सड़क पर आने की जरूरत नहीं पड़ती। 3-4 दिन से सड़क पर बैठे हैं, फिर भी न नबरंगपुर विधायक, न कृषि मंत्री – कोई नहीं आया।
हम इस तेज बारिश में सड़क पर बैठे हैं, लेकिन किसी ने हमारी पीड़ा नहीं समझी। ये लोग केवल कुर्सी के लिए गरीब जनता को लूटकर सत्ता में आए हैं। बीजेपी खुद को जनता की सरकार कहती है, फिर भी हम जैसे गरीब किसानों के लिए उनके पास वक्त नहीं है।
सूत्रों के अनुसार,
किसानों ने पहले भी बार-बार नबरंगपुर में धरना दिया था, लेकिन सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। इस कारण उन्हें मजबूर होकर राजधानी गांधी मार्ग में धरने पर बैठना पड़ा। इसके बावजूद राज्य की बीजेपी सरकार सब कुछ जानते हुए भी अंधी बनी रही।
अब कुछ ही दिनों में
मोहन सरकार अपना पहला जन्मदिन मनाएगी। राज्यभर में उनके अच्छे कार्यों का प्रचार होगा। सरकार अपनी सफलता की रिपोर्ट कार्ड लेकर जनता के बीच जाएगी। लेकिन राजधानी में किसानों का धरना मोहन सरकार को असहज बना रहा है।
अब देखना यह है कि
मोहन सरकार कब किसानों की मांगों को मानेगी और अपने वादों को पूरा करेगी।
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